मूर्ख बातूनी कछुआ
एक तालाब में एक कछुआ रहता था. उसी तालाब में दो हंस भी तैरने आया करते थे. हंस बहुत हंसमुख और मिलनसार स्वभाव के थे. इसलिए कछुए और हंस में दोस्ती होते देर नहीं लगी. कुछ ही दिनों में वे बहुत अच्छे दोस्त बन गएं. हंसों को कछुए का धीरे-धीरे चलना और उसका भोलापन बहुत अच्छा लगता था. हंस बहुत बुद्धिमान भी थे. वे कछुए को अनोखी बातें बताते. ॠषि-मुनियों की कहानियां सुनाते. हंस दूर-दूर तक घूमकर आते थे, इसलिए उन्हें सारी दुनिया की बहुत-सी बातें पता होती थी. दूसरी जगहों की अनोखी बातें वो कछुए को बताते. कछुआ मंत्रमुग्ध होकर उनकी बातें सुनता. बाकी तो सब ठीक था, पर कछुए को बीच में टोका-टाकी करने की बहुत आदत थी. अपने सज्जन स्वभाव के कारण हंस उसकी इस आदत का बुरा नहीं मानते थे. गुज़रते व़क्त के साथ उन तीनों की दोस्ती और गहरी होती गई.